किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ ** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।। राधा चालीसा https://shiv-chalisa-lyrics77271.blogdun.com/30325718/everything-about-shiv-chalisa-lyrics-in-english